कचरे से सोना बन सकता है। सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड वाकई कचरे से सोना और चांदी निकाल रही है। हिंदुस्तान कॉपर वैसे तो तांबे की माइनिंग करती है लेकिन इसके कचरे से सोना चांदी भी निकल रहा है। मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले का मलांजखंड भारत के चंद ऐसे इलाकों मे से हैं जहां तांबा पाया जाता है। हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड हर साल यहां से लाखो टन तांबा निकालती है और तांबे की यही खोज, सोना भी देती है। ये समझने के लिए सीएनबीसी-आवाज के रोहन सिंह अंडरग्राउंड माइन के भीतर तक गए।
इन चट्टानों को पीसने के लिए एक बड़ी मशीन में डाला जाता है और तांबे के अलग किया जाता है। आम तौर पर अयस्क का सिर्फ 1 फीसदी तांबा होता है और नतीजा मलांजखंड में हर दिन हजारों टन कचरा पैदा होता है। लेकिन यही कचरा सोना उगल सकता है। बेकार रेत को स्पाइरल पाइप्स में चलाया जाता है। ग्राविटी, टेबलिंग और स्मेलटिंग जैसी प्रक्रियाओं से मिनरल अलग होते रहते हैं। हर दिन 10000 टन कचरे में 5000 टन अच्छी क्वालिटी का सिलिका, 50-60 टन मैग्नेटाइड और 350 टन और तांबा निकलता है और आखिर में बचता है सोना चांदी। इस लिक्विड से सोना और चांदी निकाला जाता है। हालांकि 10000 टन कचरे को प्रेसेस करने के बाद एक किलो सोना निकलता है।
कंपनी के पास अभी 5 करोड़ टन कचरा पहले से पड़ा है। यानी सोना बनाने वाले प्लांट को नियमित सप्लाई मिलती रहेगी। हर साल हिंदुस्तान कॉपर करीब 360 किलो सोना और 3600 किलो चांदी कॉपर के कचरे से निकालेगी।
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